नारी विमर्श >> स्त्री मुक्ति : संघर्ष और इतिहास स्त्री मुक्ति : संघर्ष और इतिहासरमणिका गुप्ता
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रमणिका गुप्ता के स्त्री सम्बन्धी लेखन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे समय और समाज के सामने उपस्थित समस्याओं को गांवों/कस्बों में रहने वाली दलित/आदिवासी स्त्रियों के नजरिए से देखती हैं।
उनके आलेख स्त्री विमर्श के इस दौर में सक्रिय मध्यवर्गीय रचनाकारों से बिल्कुल अलग हैं। वे दलित/आदिवासी समाज में औरत के संघर्ष और जीवन पर तो विस्तार से विचार करती ही हैं, स्त्री से जुड़े व्यापक और सार्वजनिक मसलों पर लिखते हुए भी समाज के उस वर्ग का पक्ष रखती हैं। इस प्रकार अपना एक सबाल्टर्न पाठ तैयार करती हैं।
इस संकलन के आलेखों में महिला आरक्षण विधेयक और शादी के पंजीकरण जैसे मसलों से लेकर विवाह पूर्व यौन सम्बन्ध तक पर विचार किया गया है। प्रायः सभी मुद्दों पर उनका अपना एक दृष्टिकोण है जो बहस के लिए पाठकों को सहज रूप से आमंत्रित करता है।
यह पुस्तक स्त्री-मुक्ति की एक नयी अवधारणा से हमारा साक्षात्कार कराती है।
अनुक्रम
निवेदन
मुक्ति अवधारणा और इतिहास
- नाम की खोज में स्त्री की यात्रा
- स्त्री-मुक्ति की अवधारणा : इतिहास और वर्तमान
- मुक्ति के सपने देखती औरतों के अलग-अलग धरातल
- पुरुष-निर्मित सौंदर्य-कसौटी पर खुद को तोलती है औरत !
- धर्म, जाति व पितृसत्ता में जकड़ी स्त्री
- हमारी भाषा भी स्त्री-विरोधी है
- स्त्री-विमर्श ने स्त्री को वस्तु से व्यक्ति बनाया
- सृजन-धर्मा स्त्री ने निर्मित की बेबाक स्त्री की छवि
- बेबाक स्त्री की छवि को धूमिल करने की मुहिम
- चरित्रहीनता के पुरुष हथियारों को हँस कर टाला नहीं जा सकता
- मुक्त नहीं हुई औरत
- जरूरी है स्त्रियों में मुक्ति की इच्छा जगना
- स्त्री और नैतिकता
- पार्वती किसकी ?
- पुरुषों ने स्त्री की देह पर कोख उगा दी
- निचले हिस्से का सच
- नंगा हो मत नाच !
- कहां से शुरू हुई डायन की प्रथा
- आदिवासी संस्कृति और साहित्य में स्त्री का दर्जा
- मुक्त औरत की बानगी
स्त्री-संबंधी कानून
- जागेगी औरत तभी बनेगी बात
- स्त्री हिंसा के खिलाफ सामाजिक मुहिम जरूरी
- विवाह पूर्व यौन संबंध : मर्जी पर छोड़ें देह का रिश्ता
- शादी का पंजीकरण : समय की जरूरत, पर खतरे से खाली नहीं
- भ्रूण-हत्या : स्त्री के वजूद पर खतरा
- संभोग से इंकार पति का उत्पीड़न कैसे
- आखिर फिर टल गया स्त्री आरक्षण बिल
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